क्योंकि पृथ्वी से रोज़ेटा की दूरी काफ़ी ज़्यादा है इसीलिए ,हम तक रोज़ेटा का संदेश पहुँचने में 50 मिनट लगते हैं!
500 लाख मील की दूरी पर, जैसे-जैसे यह हमारे सौर मंडल की ओर अंतरिक्ष में बढ़ता जा रहा था, एक अलार्म घड़ी बंद हो जाती है और ढाई साल से सोया हुआ एक छोटा सा अंतरिक्ष यान उठ जाता है |
इस छोटे से अंतरिक्ष यान को रोज़ेटा कहा जाता है| लगभग दस साल अंतरिक्ष में यात्रा करने के बाद और तकरीबन 800 लाख किलोमीटर जाने के उपरांत , पिछले साप्ताह सोमवार को, यह अपने मिशन धूमकेतु 67प/छुरयुमोव-गेरासिमेन्को को पुनः आरंभ करने के लिए तैयार हो गया |
रोज़ेटा का संचालन सौर उर्जा से होता है | यह यान सूर्य से जितना दूर जाता जाएगा उतनी ही कम सौर उर्जा प्राप्त करेगा | क्योंकि सौर उर्जा ही इस अंतरिक्ष यान का ईंधन है इसलिए इसकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए, इकतीस महीने पहले, जब यह बृहस्पति के पास से गुज़र रहा था , इसे सुला दिया गया था |
सौर प्रणाली के माध्यम से आगे बढ़ते हुए रोज़ेटा को एक दशक हो गया है | इस एक दशक मे यह कई बार मंगल और पृथ्वी के नज़दीक भी उड़ा है | और अब क्षुद्रग्रहों की एक जोड़ी का दौरा करने के बाद , रोज़ेटा अंत में अपने मिशन के अंतिम स्तर में पहुँचेगा |
अगस्त में, रोज़ेटा धूमकेतु तक पहुंच कर परिक्रमा शुरू करेगा | फिर अगले दो महीनो में यह यान धूमकेतु की सतह का विस्तृत नक्शा बनाकर, जाँच की लॅंडिंग साइट का निर्णय करेगा जिसे ‘ फिलेयी ’ कहा जाता है | लैंडिंग की योजना 11 नवंबर की बनाई गई है और यह पहली बार है की एक धूमकेतु पर लैंडिंग का प्रयास किया जा रहा है |
इस उच्च कोटि के मुश्किल मिशन का सफल होना, एक बहुत बड़ी इनाम होगा | धूमकेतु समय कैप्सूल की तरह होते हैं, उनके अध्ययन से हम यह पता लगा सकते हैं की हमारा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया कैसे |
क्योंकि पृथ्वी से रोज़ेटा की दूरी काफ़ी ज़्यादा है इसीलिए ,हम तक रोज़ेटा का संदेश पहुँचने में 50 मिनट लगते हैं!
Megha Rajoria